भोपाल – इन लोगो का तहे दिल से शुक्रिया, शुक्रिया एक नहीं सैकड़ो बार शुक्रिया, सिर उठाकर शुक्रिया, सिर झुकाकर शुक्रिया, हाथ जोडकर, कमर झुकाकर शुक्रिया, पैरो पर बैठकर बारम्बार शुक्रिया, शुक्रिया की इन लोगो ने हमे आतंकवादी नहीं समझा,
आप हमारे मित्र है और आप में से कोई जासूस नहीं (विशेष तौर पर पाकिस्तान के), नहीं तो हमारी लोगों के नाम करी सार्वजनिक पोस्ट के बारे में दुसरो को बता देते | हम आराम से रात्रि में नींद निकाल सकते है क्यों की हमारे नेटवर्क में कोई जासूस / खबरी नहीं जो पीछे से शेयर करके राज उजागर कर दे इसलिए आपका शुक्रिया शुक्रिया…………..
हमने अपने साइंटिफिक-एनालिसिसों को कई अखबारों व न्यूज़ चैनेल्स की टाईमलाईन व मैसेज में भेजा | ये कोई गली मोहल्ले व नुकड़ बहस दिखाने वाले नहीं व चाय के ठेले पर फ्री की चाय पीकर दिखाने वाले नहीं अपितु सदियों से महान व वासुदैव कुटुम्बकर वाले भारत राष्ट्र के राष्ट्रीय स्तर के कहने वाले थे | हमारी पोस्ट पर नाम भी निचे दर्ज था व डाला भी वैलिड आई पी एड्रेस वाले इंटरनेट अकाउंट से इसलिए हमे बक्श दिया अन्यथा कई मीडिया वाले बिना नाम, पते वाले कागज पर इतना बवाल मचाते है की आतंकवादी संगठन देश की धरती पर पैर ही नहीं रखते दूर से बैठ कर काम चला लेते है |
एक ईंसान मर जाये तो इतनी खून पसीने वाली मेहनत करते है की बड़े से बड़े मंत्री, अधिकारी को घुटने क्या घटना स्थल पर लाकर टेकते है | यह तो सिर्फ मामूली एक मिनट में एक ईंसान के लगातार मरने का मामला है जब उसको रोकने का उपाय मौजूद हो | सारे आर्थिक व व्यक्तिगत फायदे तो राष्ट्रपति महोदय को लिखकर भेज दिए अब बचा क्या है जो कैमरा दिखा सके व अख़बार छाप सके | प्रतिवर्ष सरकारी खजाने में 1 लाख 54 हजार करोड़ रूपये जमा होंने की बात थी | करीबन 5000 नई फैक्ट्रीयां खुलनी थी और लाखों-करोडों को नौकरीया मिलनी थी | हम गिडग़ड़ाये नहीं, अपनी मज़बूरी का रोना रोये नहीं, पानी की टंकी या लाइट के खम्बे पर चढ़कर पब्लिक को एक्रत्रित कर पुलिस को बुलाये नहीं, लोगो की जिंदगी बचाने के लिए कैमरे पर आकर भीख मांगे नहीं, मरते व तड़पते लोगो की वीडियो रिकॉर्डिंग उपलब्ध कराये नहीं तो मीडिया (जिसे आप लोग लोकतंत्र का चौथा स्तम्ब कहते है) खबर बताये कैसे | हमें आतंकवादी माना नहीं अन्यथा सात समुन्दर पार दूसरे देशो में खोजी पत्रकार भेजते है वैसे ही हमारे पीछे लगा देते | सोशल मीडिया (फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सअप, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, लिंकडिन इत्यादि) पर एक लाइन के कमेंट पर सैकड़ो प्रतिनिधियों व हज़ारो मंत्रियो के स्टेटमेंट ले लेते पर हमें आतंकवादी माना नहीं इसलिए इतनी बड़ी पब्लिकली लेटर को कूड़े में डाला नहीं …….. जब ज्यादा लोग मरेंगे तब टाइम का मनी कैश कर पाएंगे लगता है ऐसा सोंचकर सहज कर रख लिया |
शुक्रिया शुक्रिया इन लोगो का कोटि कोटि शुक्रिया की हमें आतंकवादी माना नहीं अन्यथा हमारे, रहने, खाने पीने व कपड़ो पर बहस छेड़ देते | कई पत्रकारों ने पहले राष्ट्रपति भवन फ़ोन लगाकर जानकारी मांगी, हमने सारी प्रकाशित खबरे राष्ट्रपति भवन भेज दी पर किसी के कोई फर्क पड़ा नहीं क्यों की खून से लथ-पथ इंशानी (पुरुष और स्त्री) लाशो को उसमे वजन के रूप में रखा नहीं | कई मंत्रालय के निचे से उप्पर तक अधिकारियो को अखबारों व चैनलों की सहज भाषा में लोगो के मरने की खबरे भेजी पर कुछ हुआ नहीं क्यों की हमने आतंकवादी की तरह लिफ़ाफ़े में फटने वाला बम भेजा नहीं शुक्र है हमे आतंकवादी समझा नहीं |
चीन, पाकिस्तान के लफडो को खत्म करने का प्लान था, पेट्रोल-डीजल व रसोई गैस के दामों को स्थाई रूप से कम होना था, भारत को विश्वगुरु बनना था इसलिए हमे कानूनी पुलिस के लफडे में फंसाया नहीं… शुक्रिया हमें आतंकवादी समझा नहीं |
हम लव जेहादी के साथ जुड़े नहीं, हमने सिलर किसिंग का फोटो पोस्ट करा नहीं, अविष्कार पर अर्धनग्न व कम कपडे वाली मॉडल का फोटो लगाया नहीं, जिम्मेदार लोगो के साथ जानवर का फोटो जोड़ा नहीं, आतंकियों की तरह सिरिंज बम बनाया नहीं उससे बच्चो को ट्रेनिंग का वीडियो यु-ट्यूब पर डाला नहीं सिर्फ दूध पीते अबोध बच्चो व इनके मनुष्य जाति के लोगो के मरने की आधिकारिक पुस्टि वाले आंकड़े व गिनती बताई इसलिए शुक्र है इन्होने हमे आतंकवादी समझना नहीं |
हमने कोरोना वायरस आने से पहले इसकी जानकारी राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय, गृहमंत्रालय में जबरदस्ती घुसकर दी नहीं क्योंकि आधिकारिक असली वाले पास हमारी जेब में पडे थे | इनका चिल्ला चिल्ला कर बार-बार शुक्रिया क्योंकि इन्होंने हमे आतंकवादी समझा नहीं. ….
हम अमेरिका के राष्ट्रपति के जवाबी पावती मेल के साथ, संयुक्त राष्ट्र संघ, द ग्लोबल फण्ड, इंटरनेशनल रेड क्रोस सोसायटी, विश्व स्वास्थ्य संगठन, द क्लिंटन फाउंडेशन, बिल एण्ड मेलेना गेट्स फाउंडेशन के सपोर्टिग लेटर फाईल में चस्पा करे थे | इन्होंने उस फाईल को पढा नहीं शुक्र हैं इनके नकारापन ने हमको अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी समझा नहीं | दुनिया के चालीस से ज्यादा देशों की कम्पनीयों के एडवांस में अरबों-खरबों रूपयों के प्रस्तावों को इन्होंने सीबीआई, ईडी, प्रवर्तन निर्देशालय को दिखाया नहीं…. इनका हाथ नीचे पैर ऊपर करके शुक्रिया पर शुक्रिया क्योंकि इन्होंने हमे आतंकवादी समझा नहीं …
हम संसद में गये पर हमे भारत के नागरिक, व्यक्तिगत रूप से पेटेंट हासिल करने वाले पहले व्यक्ति व तीन सौ पच्चास वर्ष पुरानी आधुनिक निडिल आधारित डिस्पोजल प्लास्टिक के चिकित्सा विज्ञान में भारत को अग्रणी बनाने के नाते पास दिया नहीं , पैसे फाईल में लटके थे और फाईल राष्ट्रपति के द्वारा टेबल दर टेबल घुमाई जा रही थी, लोगों की लाशों को गिनने के चक्कर में एक राष्ट्रपति खुद कोरोना वायरस के निवाले बन गये बस उन्होंनेे खतरनाक वायरसों को रोकने की फाईल को देखा नहीं…… बहुत बहुत शुक्रिया धार्मिक स्थलों में बैठे पत्थर के भगवानों का, हमने पुरी दुनिया के जिंदा ईंसानों को लाश बनने से रोकने की बात करी न की लाशों के अधिकार की …. इन पर भगवान का साया था इसलिए इनको साधुवाद वाले आशिर्वाद का दण्डवत प्रणाम करके एक सौ आठ बार शुक्रिया क्योंकि इन्होंने हमे आतंकवादी समझा नहीं. …
चलते – चलते एक बार और इनका शुक्रिया शुक्रिया, दिल की गहराइयो से समझ में नहीं आये तो “बॉटम ऑफ़ हार्ट” से शुक्रिया शुक्रिया ……………… इन लोगो ने हमे आतंकवादी समझा नहीं……………शुक्रिया शुक्रिया
शैलेन्द्र कुमार बिराणी
युवा वैज्ञानिक