Home राष्ट्रीय नव वर्ष की शुभकामनाएं!

नव वर्ष की शुभकामनाएं!

141

ईंसानी लकीरों से बने समय के 2024वें वर्षनुमे हिस्से का “HAPPY NEW YEAR”

भोपाल – 21वीं सदी के समय पहिये से इंटरनेट की रफ्तार द्वारा जाति, वर्ग, सम्प्रदाय, धर्म, क्षेत्रवाद, भू-भाग, मंदिर, मज्जिद, चर्च, गुरुद्वारे, स्थानक, बौद्धमठों, धर्मशालाओं, लोगो के समूह से बने भवनों के सामाजिक, व्यवसाहिक व राजनैतिक केंद्रों और व्यवस्था के नियमन हेतु सता के सामूहिक केंद्रों, मंत्रालयों, व विभागों के बड़े-बड़े भवनों के मार्ग से शैक्षणिक, कार्यक्षेत्रीय व कल्पनाओं को जीवन मूर्त देते कागजों व इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की धुनों से आगे बढ़ते रहने पर पिछले ईतिहास के आधार पर नई उमंग, प्रेरणा व पिछ्ले पलों के अच्छे-बुरे अनुभवों से खुशी, दुःख और हर्षोउल्लाहस बनाने के ढेरों दिवस आते है |

इन दिनों को राजनैतिक, धार्मिक, कार्यिक, क्रियाशीलता, प्रबंधन, शासन, बौद्धिक चेतना के फलस्वरुप हुए मानसिक विकास, सार्वभौमिक सत्य व सभी को एक ही आधार से परखने की कला के विज्ञान को आगे बढ़ने की रूपरेखा में अलग-अलग नामों से संबोधित किया जाता है | इसमे से “नववर्ष” भी एक प्रमुख नाम है |

यदि तारों के झालों से इंटरनेट के नाम से बंधे ग्लोबलनुमा दुनिया के सर्च ईंजन में जाकर देखे तो आप पायेगे की नववर्षो की भरमार है, जो अलग-अलग गणना के अनुकूल सभ्यता, संस्कृति, भौगोलिक ज्ञान व निजी और सामाजिक घटना पर आधारित है |

वर्तमान के समय में यूरोपियन ईतिहास पर आधारित कलैण्डर के अनुरूप ज्यादातर लोग 1 जनवरी को नया वर्ष बनाते है | इसकी सार्थकता राजशाही के नाम पर नामकरण व युद्धों के माध्यम से स्वार्थ, लालच व सबको अपने अधीन करने की मानसिकता के आधार पर पुरी दुनिया में फैलाव से बनी है |

हर जीवित (पौधा, कीट, पतंगे, पक्षी, जलचर जानवर, ईंसान) प्राणी जो मरता हैं या खत्म होता हैं वो इतिहास जरूर बनाता हैं परन्तु जिसको याद रखने से आने वाले समय में जीवित सभी जीव-जंतुओं और लोगों को जीवन यापन में सुविधा हो व स्वर्णिम इतिहास कहलाता हैं । इन सभी को एक श्रृंखला में सही क्रम के रूप में याद रखना सम्भव नहीं हैं इसलिए कागज में लिखित रूप में संयोज कर रखना उचित मार्ग हैं | इसके लिए भी लगातार गतीशील समय पर उकेरने के लिए किसी एक बड़ी महत्तवपूर्ण व सर्वाधिक चर्चित मामले को एक आधार / स्तम्भ / निशान के रूप में इस्तेमाल किया जाता हैं | इसे साधारण भाषा में समझे तो ईसा मसीह के जन्म के बाद वर्षों को संख्या के बाद ईसवीं से सम्बोद्धित व लिखते हैं और ईसा मसीह के जन्म से पहले अंकों की सांखीकी को विलोम दिशा में बढाते हुए ईसा पूर्व से सम्बोद्धित व लिखते हैं | यह महत्तवपूर्ण व सर्वाधिक चर्चित मामले देशों के अनुसार अलग-अलग होते हैं |

दुनिया के प्रत्येक देश प्राचिन काल से ऋतुओं, सूर्य, ग्रहों-सितारों व प्रमुखता से चन्द्र गति आधारित कैलेंडर बनाकर समय को धर्म के साथ रेखांकित करते थे | इसमें जूलियन कैलेंडर, रोमन कैलेंडर, जापानी – शोगात्सु, चीनी – लिचुन, कोरियाई – सियोलाल, तिब्बती – लोसार, वियतनामी चंद्र कैलेंडर, बेबीलोनियाई नववर्ष, ईरानी – नौराज, पारसी व फारसीयों का बहाई कैलेंडर, बालीनी – जावानीस कैलेंडर आधारित न्येपी, कलडीन-बेबीलोनियन का खा बी’निसान या रेशा डी’शीता, नाइजीरियाई ओडुंडे, इथियोपियाई नव वर्ष एनकुटाटाश इत्यादि-इत्यादि प्रमुख हैं |

भारत में नव वर्ष अधिकतर मार्च अप्रैल में चैत्र मास के आस-पास आते हैं | कश्मीरी कैलेंडर का नवरेह, महाराष्ट्र में गुडी पडवा/उगादी, गोवा में संस्कार पडवा, सिंधियों का चेटी चंद, पाकिस्तान और भारत के बलूच हिन्दूओं का बेगेरोच, तमिलों का पुथंडु, तमिलनाडु का चित्राई थिरूविजा, पंजाबी एवं सिखों का नानकशाही कैलेंडर आधारित वैसाखी, हिमाचल प्रदेश का चैती, मैथिली नववर्ष पुड-शीतल, असमिया नववर्ष रोंगली बिहू, बंगाली नववर्ष पोहेला बोइशाख, उड़िया नववर्ष विशुव या पना संक्रान्ति, मणिपुरी – चेइरौबा, सिंहली नववर्ष श्रीलंका में अलुथ अवुरूद्दा, तमिल में पुथथंडु, मलयाली नववर्ष विशु, दक्षिण-पश्चिमी कर्नाटक में युगादि और बिसु, मारवाडी नववर्ष थापना दिपावली के त्यौहार के दिन, गुजराती नववर्ष दिपावली के दुसरे दिन, सिक्किमवासी का लोसर, इस्लामिक नया वर्ष मुहर्रम, मिजो लोगों का पावल कुट इत्यादि-इत्यादि धार्मिक रिति-रिवाजों के साथ प्रचलन में हैं |

इस अवसर पर सभी लोग एक-दूसरे को बधाई देते है ताकि आने वाला भविष्य का समय उनके लिए सुखद व कीर्तिमय रहे | हम आज भी वही शुभकामनाये देगें जो हमेशा से देते आये है | समय की गतिशीलता के साथ विज्ञान के चक्षु से परख के निकला सच कभी बदलता नहीं है |

सैकड़ों नववर्षों के दिनो में यूरोपियन इतिहास पर आधारित कलैण्डर के 2024वें वर्ष पर बन रहा है जीवन जिने का हर्षोउल्लाहस नव वर्ष की शुभकामनाएं ……..2014,15,16,20,30,60,90,99… भविष्य हमेशा ही बहुत सुन्दर, कीर्तिमय व शौभाग्यशाली होता हैं लेकिन उसके लिए वर्तमान में कर्म करने पडते हैं, भूतकाल सिर्फ सदैव एक आधार प्रदान करता हैं ताकि उसका विश्लेषण कर विकास व कामयाबी की पटकथा अच्छे भविष्य के लिए लिख सके | इसलिए सिर्फ़ बधाई देकर रस्मअदायगी न करे इससे समय बर्बादी के अतिरिक्त कुछ नहीं होगा और अच्छा भविष्य ओर आगे खिसक जायेगा अत: ईमानदारी से लक्ष्य निर्धारित कर काम कर अपना कर्तव्य निभाएं |

शैलेन्द्र कुमार बिराणी
युवा वैज्ञानिक