Home उत्तर महाराष्ट्र क्या शिक्षक इंसान नहीं होते??

क्या शिक्षक इंसान नहीं होते??

483

लियाकत शाह

आज हमारा देश जिस नाजुक दौर से गुजर रहा है वो हम सब जानते है। कोरोना वायरस ने भारत देश ही क्या पुरी दुनिया पे अपना शिकंजा कस दिया है और हर किस को सोचने पर मजबुर कर दिया है। जहा महाराष्ट्र राज्य कि सरकार ने भी तुरंत हरकत मे आकार सरकारी तौर पे फरमान जारी कर सारे छोटे बडे स्कूल्स, कॉलेज, सिनेमाघर जल तलाव, मोलस वगैर सब को ३१ मार्च तक बंद करने का फैसल लिया। वही दुसरी तरफ अपने कुछ कर्मचारियो को “वर्क फ्रोम होम” यांनी घर से ही काम करने कि सूचना दिये। लेकीन बेचारे जिल्ला परिषद के शिक्षको को स्कूल्स मे जाने और काम करने को कहा गया। औरंगाबाद के ऐक शिक्षक को तो कोरोना वायरस के लक्षण भी सामने आये है। अब सवाल ये आता है क्या क्या शिक्षक इंसान नहीं होते? क्या शिक्षको कि अपनी निजी सुरक्षा नहीं होती? क्या शिक्षको का अपना परिवार नही होता, क्या शिक्षको को कोरोना वायरस नही हो सकता? कोरोना वायरस के फैलने कि सब से बडी वजाह हाथो के छुने से होता है। कोरोना वायरस के डर से बाजार मॉल्स खाली पड़े हैं, कई कार्यक्रम इवेंट्स रद्द कर दिये गये है, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स रद्ध कर दि गई है। अर्थवेस्वस्था पुरी तरह से गिर गई है। देश और विदेश कि अंतरराष्ट्रीय सीमाएं भी बंद कर दि गई है और चौकी से पेहरा लगा दिया गया हैं। लोग घरो मे नजरबंद हो गये है घरो मे रेहने को कहा गया है। किसी से मिलना जुलना सब बंद हो गया है। लोग एक दूसरे को देखकर डर जाते हैं, यहां तक कि एक दूसरे को छूते तक नहीं है। लेकिन बिना बच्चो के स्कूल और कॉलेज अभी भी खुले हैं, शिक्षको अभी भी विद्यार्थियों की नोटबुकस, दसवी बारावी कि उत्तर पत्रिकाऐ और जिल्ला परिषद शिक्षको तो बच्चो कि किताबें, नोटबुक और अन्य शिक्षण सामग्री को छूते हैं। दसवी और बारावी के शिक्षक बच्चो को प्रश्न पत्ररिका और उत्तर पत्रिकाऐ देने में कोई डर मेहसूस नहीं करते। शिक्षक हर उत्तर पत्रिका को बहुत पास से हाथ से हस्ताक्षर करते हैं। अगर किसी छात्र/ छात्रा को बुखार या बिमार हो तब उन छात्रों से दूर नहीं भागते हैं। शिक्षक एक ऐसा समुदाय है जो सबसे अधिक जोखिम में होते है, फिर भी वो कभी भी पीछे नहीं हटते है। शिक्षक होना अपने आप में ही एक सम्मान होता है, शायद इसलिए मां बाप के बाद शिक्षक को ही दूसरा सम्मान दिया गया है। शिक्षक वैसे तो हमें पढ़ाने के लिए होते हैं, लेकिन हमारी जिंदगी में सबकी अपनी अहेम भूमिका निभाते है। मां बाप की तरह बच्चों को समझना और वक्त आने पर डांट भी लगाना, अच्छे दोस्तों की तरह हौसला बढ़ाना और सही रास्ता दिखाना ये सब गुन हर शिक्षक मे होते है। बच्चे जितना अपने मां-बाप और आसपास की दुनिया से नहीं सीख सकते उससे कही ज्यादा शिक्षक सिखा देते हैं। इंसान के ज़िंदगी मे माँ बाप के बाद अगर किसी का जीवन मे स्थान है, तो वह है शिक्षक का है। शिक्षक के लिये बच्चे जो कच्चे घड़े कि तरह होते है उनको को आकर देना सिर्फ और सिर्फ एक शिक्षक ही कर सकता है। शिक्षक का जीवन मे बहुत अहेम मुकाम है, बिना शिक्षक के इंसान जिंदगी की सोच ही नहीं कि जा सकती है। शिक्षक वह होते है जो हमें जीवन जीने का सही तरीका सिखाते हैं। जो किताबो का ज्ञान को सरल अल्फाजो में बदलकर हमें नयी बाते सिखाते हैं। शिक्षक हमारे और शिक्षा के बीच में ऐसा माध्यम होते हैं जो हमारे शिक्षा में आ रही परेशानियों को दूर करके हमें सही शिक्षा प्रदान करते हैं। एक अच्छे शिक्षक की हमारे सफल जीवन में बहुत बड़ी भूमिका होती है, हमारे माता-पिता के बाद अगर हमें कोई जीवन जीने की सीख देता है। समाज को सही दिशा प्रदान करने के लिए विद्यार्थियों में ऐसे मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है जो कि देश व समाज को एक सही दिशा प्रदान करें जो कि एक शिक्षक द्वारा ही किया जा सकता है। शिक्षक होने के लिए ज्ञान होना जितना जरूरी है, उससे भी ज्यादा जरूरी है उसे विद्यार्थिियों तक पहुंचाने का तरीका। हर विद्यार्थी का Psychological level मानसिक स्तर अलग होता है जिसको सिर्फ ऐक शिक्षक ही समज सकता है। इसलिये सरकार ने भी शिक्षको के बारे मे गेहराई से सोचना चहीये खास कर जिल्ला परिषद के वो शिक्षक जो घर से दूर किसी गाव कास्बो देहातो मे जाकर अपना फर्ज निभाते है। जो अपना सब कुछ दुसरो के बच्चो के लिये लगवा देते है ये भी इंसान है जो बिमार भी हो सकते है उनको भी कोरोना वायरस हो सकता है शिक्षको के साथ भी दुःख सुख लगा रेहता है। दुनिया मे जितने भी लोग आज जिस ओह्दे पे है वो सब कुछ ऐक शिक्षक कि ही बदौलत है। शिक्षक नहीं होते तो आज वो वहा पे नही होते थे। राज्य मे जिल्ला परिषद शिक्षको कि हिफाजत सरकार कि पेह्ली प्राथमिकता होनी चाहिये।
“दसते मासूम को लोह कलम देता है
वो नव नेहालांना कौम को कांदिले हरम देता है
और रौशनी बाटता फिरता है सुरज कि तरह
जब डुबता है तो इन जैसे सितारो को जनम देता है”

लियाकत शाह एमए बी.एड
महाराष्ट्र राज्य कार्यकारी समिति सदस्य,
अखिल भारत जर्नालीस्ट फेडरेशन